tag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post1041262944723560187..comments2023-06-29T23:49:15.931-07:00Comments on awyaleek: आखिर कब तक शर्म करते रहेंगे अपने भारतीय होने पर........??awyaleekhttp://www.blogger.com/profile/00906702716415073964noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-82737412781967160572017-07-20T13:40:31.960-07:002017-07-20T13:40:31.960-07:00जय हिंदजय हिंदGautam kothari sanatnihttps://www.blogger.com/profile/03208443382085562936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-78887216543381872102016-11-13T01:44:37.431-08:002016-11-13T01:44:37.431-08:00मैं अपने शब्द बयॉ नही कर सकता ाा इतना अच्छा लेे...मैं अपने शब्द बयॉ नही कर सकता ाा इतना अच्छा लेेख कि पूरा पढे बिना कोई रह न सकेा इसे मैने फेसबुक में शेयर किया है ताकि औरों तक ये बात आसानी से पहुॅच सके<br />ललित राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/14184304181626925616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-34254525684337481132016-03-12T03:04:17.619-08:002016-03-12T03:04:17.619-08:00Jai HindJai HindRamdayal Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/09994633935916471186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-40357799346354269302011-03-26T09:42:15.199-07:002011-03-26T09:42:15.199-07:00koti koti pranam aap jaise deshbhakton kokoti koti pranam aap jaise deshbhakton koRAVI SINGHhttps://www.blogger.com/profile/13730012369896023624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-35103424455648160762011-01-01T07:52:55.862-08:002011-01-01T07:52:55.862-08:00dum hae bhae, nicdum hae bhae, nicAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-91926786882570995722010-11-05T22:01:58.211-07:002010-11-05T22:01:58.211-07:00आपका यह तथ्यपूर्ण लेख उन भारतीयों की आँखेंखोलने क...आपका यह तथ्यपूर्ण लेख उन भारतीयों की आँखेंखोलने के लिए पर्याप्त है ,जो विदेशी चकाचौंध के कारण खुद को हीन भावना में ग्रस्त किये हुए हैं .हमें तो स्वयं को धन्य मानना चाहिए की हम ऎसी समृद्ध संस्कृति के वारिस हैं .हमें इस सत्य को स्वीकारना होगा कि जो समाज अपना इतिहास भूल जाता है ,उसका भविष्य अन्धकार पूर्ण हो जाता है .इतनी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आप बधाई के पात्र हैं .बी एन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12275695934990344144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-16300386634757404492010-08-19T16:56:35.963-07:002010-08-19T16:56:35.963-07:00thank you reallty nicethank you reallty nicekek tariflerihttp://islak-kek-tarifi.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-79669851080910942192010-05-29T05:56:04.407-07:002010-05-29T05:56:04.407-07:00hiii frnd your topic is veary nice .really it is a...hiii frnd your topic is veary nice .really it is a burning issue for india and indian culture.our culture is going to vanish.<br />ur blog is superb and writing skill is outstanding still u have need improvement because ur blog is too long keep it short as far as possibleAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07053852121593861061noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-48795224119221087132010-05-28T22:04:47.422-07:002010-05-28T22:04:47.422-07:00It was a nice blog.......
keep on writing such won...It was a nice blog.......<br />keep on writing such wonderful blogs.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-82455224021777581272010-05-24T00:53:12.049-07:002010-05-24T00:53:12.049-07:00ये तो सही है कि हम भले मानसिक रूप से अभी तक अँग्रे...ये तो सही है कि हम भले मानसिक रूप से अभी तक अँग्रेजों की गुलामी कर रहे हैं..वो क्या खाते-पीते हैं क्या पहनते-ओढ़ते हैं कैसे चलते-फ़िरते हैं,हर चीज में हम उन्हीं की नकल करते हैं,उनकी सभ्यता-संस्कृति अलग है,.वहाँ की आबो-हवा,जलवायु मौसम, हमारे यहाँ से बिल्कुल भिन्न है तो ऐसे में जो चीज उनको लाभ पहुँचाएगा वो निश्चित रुप से हमारे लिए हानिकारक होगा..उदाहरण के चाय को ही ले लिजिए,उनको जरुरत थी तो उन्होंने यहाँ चाय की खेती शुरु करवा दी,वहाँ ठण्ड पड़ती है तो वो लोग चाय पीते हैं पर हमारे यहाँ तो गर्मी पड़ती है फ़िर भी हमलोग चाय गर्व से पीते हैं जिसका परिणाम ये है कि आज भारत के ९९% लोग गैस,एसिडिटी जैसे पेट रोगों से पीडि़त हैं...मैं भी सबसे यही कहूँगी कि जरा सोच कर देखिए कि प्रकृति कितना दया बरसाती है हम भारतीयों पर कि ठंड में तो बेर जैसे छोटे य गाजर जैसे कम पानी वाले वाले फ़ल देती है पर जिस गर्मी में पानी का जल-स्तर काफ़ी नीचे चला जाता है उस गर्मी में भी प्रकृति हमें तरबूज और कद्दू जैसे पानी से लबालब भरे हुए बडे़-बडे़ फ़ल देती है,इसके अलावे खीरा ककडी़ परोल-झिंगली सब फ़ल-सब्जी पानी वाले ही...और तरबूज ऐसा फ़ल है जिसका बीज भी खा लेने से वो मस्तिष्क को शीतलता तथा शक्ति देती है.. आम,लीची,बेल,नींबू,खीरा,तरबूज,चुकंदर,पुदीना सारे फ़ल-सब्जियाँ जो ठंडक प्रदान करने वाली होती हैं वो हमें गर्मी से राहत देने के लिए ही तो गर्मी में आते हैं ना अगर ये जाडे़ की ऋतु में आते तो इसकी क्या उपयोगिता रह जाती.....?और फ़िर भी हम भारतीय ज्यादा उच्च बनने के चक्कर में या कहें कि अँग्रेज बनने के चक्कर में प्रकृति की दया को दुत्कार रहे हैं तो हमसे और ज्यादा अभागा और मूर्ख कौन होगा जो अपने ही पैरों पर कुल्हाडी़ मार रहे हैं...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09809670553575083910noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5870259780784977551.post-85942558037490364462010-05-23T11:00:59.422-07:002010-05-23T11:00:59.422-07:00क्या जबरदस्त लेख लिखा है भाई जी मन गए आपको
"...क्या जबरदस्त लेख लिखा है भाई जी मन गए आपको <br />"इसमें कोई शक नहीं कि हम भारतीय फ़िर से इस दुनिया को अपनी चरणों में झुका देंगे..."<br />१०० % सही बात हैवीरूhttp://www.jmdhost.comnoreply@blogger.com